शिकोहाबाद: पथरा दिल में प्यार कछू तो गड़बड़ है……….

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-शब्दम् द्वारा आयोजित बुंदेली एकल काव्य पाठ का श्रोताओं ने लिया आनंद
-बुंदेली कवि महेश कटारे सुगम का शब्दम संस्था ने किया जोशीला स्वागत

शिकोहाबाद। साहित्य संगीत एंव कला को समर्पित संस्था शब्दम् ने गुरुवार को बजाज इले लि आवासीय परिसर स्थित संस्कृति भवन में बुंदेली भाषा में एकल काव्य का आयोजन किया। जिसमें बुंदेली कवि महेश कटारे सगुम को काव्य पाठ हेतु मध्य प्रदेश के बीना से बुलाया गया। उनकी बुंदेली कविताएं सुन कर श्रोता भावविभोर हो गये।

कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। संचालक व्यंग्यकार अरविंद तिवारी ने बुंदेली साहित्य की परम्परा पर प्रकाश ड़ाला और महेश कटारे सुगम का परिचय पढ़ा। आमंत्रित कवि का शॉल ओढ़ाकर और हरित कलश भेंट कर सम्मान किया। उन्हें सम्मान राशि भी भेंट की गई। महेश कटारे सुगम ने काव्यपाठ में बुंदेली मुक्तक और बुंदेली गजलों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। महेश कटारे सुगम की कुछ पंक्तियों पर खूब दाद मिली। गजल में उनके रदीफ प्रयोग लोगों को पसंद आया। पानी जित्तो गहरौ हुई है, उत्तोई ठहरौ ठहरौ हुई है। पथरा मारे खून न निकले का मतलब, जी पै हंसौ न ऊखौ अखरे का मतलब, पथरा दिल में प्यार कछू तो गड़बड़ है, जालिम करै जुहार कछू तो गड़बड़ है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात कवि महेश आलोक ने की और विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रख्यात कवि डॉ ध्रुवेन्द्र भदौरिया उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन मंजर उलवासै ने दिया। कार्यक्रम में डॉ समीर विश्वास, सहदेव सिंह चैहान, डॉ टीएन यादव, नारायण हरी, विनीत वसंत, रितु अग्रवाल, शरद बरेजा, ओमप्रकाश बेबरिया, आलोक अर्श, हरीशंकर यादव, डॉ स्नेहलता, दिनेश यादव, उत्तम सिंह उत्तम, जयदेव सिंह, विवेक यादव, कृष्णकुमार कनक, रामनरेश, रविन्द्र सिंह, रामप्रकाश गुप्ता, महाराज सिंह, मीनू यादव, शिवनाथ यादव, शिवरतन सिंह, आरएन यादव, आरके बसंल, रत्नेश कुलश्रेष्ठ, रश्मि, विवेकानंद, आशीष यादव, आदित्य, दाउद खान, अनिल पालीवाल, सौरभ चंदेल, मधु शुक्ला, कीर्ति शुक्ला, हरिओम शुक्ला, अंशुमान, विवेक शुक्ला, नरेश सिंह चैहान उपस्थित रहे।

Ravi Kumar
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रवि कुमार एक अनुभवी डिजिटल पत्रकार हैं जो ऑटोमोबाइल, राष्ट्रीय समाचार और टेक्नोलॉजी से जुड़े विषयों पर गहरी पकड़ रखते हैं। पिछले 8 वर्षों से वे विश्वसनीय, तथ्यात्मक और ट्रेंडिंग जानकारी पाठकों तक पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं। रवि की लेखनी में विश्लेषणात्मक सोच और सरल भाषा का संतुलन देखने को मिलता है, जो हर वर्ग के पाठकों के लिए उपयोगी है।

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