-शताब्दी वर्ष के द्वितीय कार्यक्रम के लिए कार्यकर्ताओं ने कसी कमर
फिरोजाबाद। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर स्वयंसेवकों की टोली प्रत्येक हिंदू परिवार की चौखट पर जाएगी, परिवार में कुशल क्षेम पूछने के साथ साथ साहित्य एवं भारत माता का चित्र भेंट करते हुए संघ के बारे में यह टोली अवगत कराएगी। यह क्रम 9 नवंबर से प्रारंभ होकर 30 नवंबर तक चलेगा। यह उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख कीर्ति जी ने बैठक को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि फिरोजाबाद को संघ की दृष्टि से चंद्रनगर महानगर कहा जाता है। महानगर का विभाजन 10 नगरों में तथा 70 बस्तियों में किया गया है। 70 बस्तियों का विभाजन 350 उपबस्तीयों में होता है। अर्थात महानगर 350 बस्तियों से मिलकर बना है। प्रत्येक बस्ती में 5 स्वयंसेवकों की टोली की रचना हुई है, जिसमें मातृशक्ति भी सम्मिलित होगी। इस प्रकार पूरे महानगर में 1750 स्वयंसेवक प्रतिदिन प्रातः एवं सायं अपने-अपने क्षेत्र के प्रत्येक हिंदू परिवार में वृहद गृह संपर्क योजना के तहत संपर्क करेंगे और संघ की सामग्री उपलब्ध कराएंगे। विदित हो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में एक वृहद ग्रह संपर्क अभियान की तैयारी जोरों पर प्रारंभ हो गई है।
इसके निमित्त नगर के फिरोजाबाद क्लब में शुक्रवार को एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें बस्ती स्तर के कार्यकर्ताओं को बुलाया गया। बैठक में 543 कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया। संघ शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों का सूत्रपात विजयदशमी उत्सव के साथ हुआ था इसके पश्चात शताब्दी वर्ष का द्वितीय कार्यक्रम बृहद ग्रह संपर्क अभियान जो कि नवंबर माह में चलने वाला है। कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते बन रहा था। प्रातः 6 बजे से ही कार्यकर्ता फिरोजाबाद क्लब में एकत्रित होना शुरू हुए और तय समय के अनुसार 6ः30 बजे तक अधिकांशतः कार्यकर्ता बैठक में उपस्थित हो गए।
समय और अनुशासन का जो दृश्य रहा निश्चित ही एक शतक से संघ की पहचान को दर्शा रहा था। इस अवसर पर विभाग प्रचारक अखिलेश, प्रांत जागरण प्रमुख विशाल, महानगर संघचालक प्रदीप, महानगर प्रचारक शेखर, विभाग कार्यवाह ब्रजेश, मुकेश, डॉ रमाशंकर, मुकेश, अमर सिंह, सौरभ सहित संघ, ललित मोहन सक्सैना आदि मौजूद रहे।
साहित्य स्टॉल से स्वयंसेवकों ने प्राप्त की पुस्तकें
फिरोजाबाद क्लब में आयोजित बैठक में संघ साहित्य की स्टॉल लगाई गई, जिस पर स्वयंसेवकों और समाज के गणमान्य लोगों ने साहित्य प्राप्त किया।