फिरोजाबाद। नगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा एवं विराट संत सम्मेलन में सोहम पीठाधीश्वर ने कहा कि धर्म केवल पूजा-पाठ या कर्मकांड तक सीमित नहीं है, बल्कि वह मानव जीवन को सत्य, संयम, करुणा, सेवा और सदाचार के मार्ग पर ले जाने वाली दिव्य चेतना है। भागवत कथा में वामन अवतार, कान्हा की बाल लीलाओं और सीता स्वयंवर की कथा का वर्णन किया। भक्तजन भजनों पर झूमते रहे।
अखिल भारतीय सोहम महामण्डल द्वारा रामलीला मैदान में चल रहे 46वे आयोजन में सोहम पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानंद महाराज कहा कि सच्चा धर्म व्यक्ति को आत्मबोध कराता है। समाज में शांति, सद्भाव व नैतिक मूल्यों की स्थापना करता है। वर्तमान भौतिक युग में यदि मानव धर्म के वास्तविक स्वरूप को समझ ले तो जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान स्वतः हो सकता है। उन्होंने कहा कि धर्म को केवल सुनने या समझने तक सीमित न रखें, बल्कि उसे अपने आचरण में उतारकर ही जीवन को सार्थक बनाएं।

सम्मेलन में स्वामी शुकदेवानंद महाराज ने धर्म को मानव जीवन की आधारशिला बताते हुए सत्कर्म, सेवा और त्याग पर बल दिया। स्वामी रामशरण दास महाराज ने भक्ति और सेवा को धर्म का मूल स्वरूप बताया। स्वामी प्रीतमदास महाराज, स्वामी निगमानन्द, स्वामी नारायणानंद, स्वामी शिवानन्द, स्वामी सच्चिदानन्द, स्वामी सदानन्द, स्वामी सुबोध स्वरूप ने धर्म, भक्ति, सदाचार और मानव कल्याण का संदेश दिया। कथा व्यास पं. रामगोपाल शास्त्री ने प्रभु श्रीराम की दिव्य लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया। भगवान परशुराम का धनुष तोड़ना, सीता विवाह, वामन अवतार, कृष्ण जन्म का वर्णन किया।
कथा में मुख्य यजमान संजय पचौरी, रेखा पचौरी, यज्ञपति संजय शर्मा, पूनम शर्मा, उमाकांत पचौरी, द्विजेंद्र मोहन शर्मा, कृष्णकांत गुप्ता, राकेश तिवारी, महेंद्र छोटे, कपिल गोयल, नरेश वार्ष्णेय, सर्वेश दीक्षित, प्रमोद माहेश्वरी, रविंद्र गर्ग, चुन्नालाल, राकेश, सुभाष चंद्र बंसल आदि मौजूद रहे।

