फिरोजाबाद। नगर में चल रही श्रीराम कथा में कथा व्यास ने राम वनवास, केवट संवाद की लीलाओं का हनुमंती शैली में वर्णन किया। लीला वर्णन में उद्वारता, प्रेम, विनम्रता से ही भगवान की शक्ति और प्रेम प्राप्त होता है।
पालीवॉल हॉल में चल रही श्रीराम कथा के पंचम दिन कथा व्यास महाकाल के पीठाधीश्व प्रणवपुरी महाराज ने कहा कि राजा दशरथ के वचनों का पालन करने के लिए श्रीराम, लक्ष्मण और माता जानकी के साथ 14 वर्ष के लिए वन को प्रस्थान कर गये। वनवास के दौरान वन का भ्रमण करते हुए गंगापार करने के लिए पहुंचे, जहॉ केवट से संवाद में भगवान राम ने गंगापार कराने को कहा। केवट ने प्रभु के चरण पखाड़ने के बाद गंगापार कराया।
श्रीराम ने कहा कि केवट की उद्वारता, प्रेम, विनम्रता ने काफी प्रभावित किया है। उन्होंने केवट का आर्शीवाद दिया। कथा व्यास ने कहा कि जब हम अपने हदृय में उद्वारता, प्रेम विनम्रता को स्थान देते है, तब भगवान हमारे हदृय में आकर बस जाते है। हनमुंत शैली में हो रही कथा में व्यास जी ने श्रद्वालुओं को भगवान राम की भक्ति और प्रेम की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। भगवान राम की भक्ति और प्रेम से ही हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते है।
इससे पूर्व कथा व्यास ने सरस्वती शिशु मंदिर गौशाला में वार्ता करते हुए बताया कि राम कथा तीन शैली में होती है। नारद शैली, संगीमय शैली और हनुमंती शैली में की जाती है। हनुमंती शैली में कथा बहुत कम सुनने को मिलती है। इस शैली में तीन घंटे खड़े होकर कंठस्थ खड़े श्रीराम कथा का वर्णन किया जाता है। कथा व्यास के पिता अंगद शरण महाराज भी एक विख्यात कथा वाचक थे। रामचरित मानस के अनुसार हनुमान जी महाराज ने चार बार रामचरित मानस को सुनाया था।
जिसमें दो बार लंका में सीता माता एवं विभीषण को, दो बार भारत जी को राम कथा को सुनाया था, इसलिए इस शैली को हनुमत शैली के नाम से जाना जाता है। कथा में देवेंद्र शास्त्री, देवव्रत पांडे, डॉ उग्रसेन पांडे, राजेश दुबे, हरिमोहन गुप्ता, विकास गोयल, भास्कर शर्मा, राजवर्धन सिंह, गुड्डा पहलवान, डॉ उपेंद्र गर्ग, हनुमान प्रसाद गर्ग, डॉ एसपीएस चौहान, ओमकारनाथ ब्रिज, प्रवीन अग्रवाल, अनिल उपाध्याय, कमलेश गर्ग, धीरेंद्र भारद्वाज आदि मौजूद रहे।

