फिरोजाबाद: संस्कार मनुष्य के आचरण को शुद्ध करते हैं-सत्यानंद महाराज

-भागवत कथा में श्रीकृष्ण-रूक्मिणी विवाह की झांकी रहीं आकर्षण का केंद्र

फिरोजाबाद: संस्कार मनुष्य के आचरण को शुद्ध करते हैं-सत्यानंद महाराज

फिरोजाबाद। नगर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा एवं विराट संत सम्मेलन में ससोहम पीठाधीश्वर ने संस्कार और दान को मानव जीवन का मूल आधार बताया।  बिना संस्कार के ज्ञान अधूरा है और बिना दान के समाज का कल्याण संभव नहीं है। संस्कार व्यक्ति के आचरण को शुद्ध करते हैं। दान से सेवा, समर्पण व करुणा की भावना विकसित होती है, जिससे समाज देवत्व की ओर अग्रसर होता है। 

रामलीला मैदान में अखिल भारतीय सोहम् महामण्डल के तत्वाधान में चल रही श्रीमद्भावगत कथा एवं विराट संत सम्मेलन में स्वामी सत्यानंनद महाराज, शुकदेवानंद महाराज ने कहा कि दान केवल धन का नहीं बल्कि समय, श्रम और सद्भाव का भी होना चाहिए। अच्छे संस्कार ही व्यक्ति को जीवन में सही दिशा देते हैं। स्वामी रामशरण दास महाराज, स्वामी प्रीतमदास महाराज, स्वामी निगमानन्द, स्वामी नारायणानंद, स्वामी शिवानन्द, स्वामी सच्चिदानन्द, स्वामी सदानन्द, स्वामी सुबोध स्वरूप महाराज ने कहा कि संस्कारों से ही व्यक्ति श्रेष्ठ बनता है। यही संस्कार परिवार से समाज व राष्ट्र को मजबूत करते हैं।

पं. रामगोपाल शास्त्री ने श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का वर्णन किया। उन्होंने कहा रूक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण को अपना पति मान चुकी थी। रुक्मिणी विवाह की झांकी दर्शनकर श्रद्वालुओं ने पुण्यलाभ लिया। कथा में उमाशंकर मिश्रा, श्रीश्याम बाबू अग्रवाल, डॉ दिलीप यादव, पंडित मुन्नालाल शास्त्री, देवकी नंदन अग्रवाल, हरिओम गुप्ता, जेपी मित्तल, विमल गुप्ता, डॉ ब्रजेश गुप्ता, प्रकाश चंद्र गुप्ता, डॉ मयंक भटनागर, देवीचरन अग्रवाल, सिब्बो बाबू, किशन अग्रवाल, प्रकाशनिधि गर्ग, अनुग्रह गोपाल अग्रवाल, उमाकांत पचौरी, द्विजेंद्र मोहन शर्मा आदि मौजूद रहे।