फ़िरोज़ाबाद: सिद्धचक्र विधान करने से गृहस्थ जीवन के पापों का होता है नाश-जैनाचार्य 

फ़िरोज़ाबाद: सिद्धचक्र विधान करने से गृहस्थ जीवन के पापों का होता है नाश-जैनाचार्य 

फ़िरोज़ाबाद। नगर में चल रहे सिद्ध चक्र विधान में सिद्ध भगवान की विधि-विधान से पूजा की गई। जिनभक्तों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही। मंदिरों में श्रीजी के जयकारें गुजायमान हो रहे है। 

पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन जैन मंदिर जैन नगर खेड़ा में विधान के छठवें दिन सांगानेर से पधारे प्रतिष्ठाचार्य रमेश जैन ने कहा की मैंने अपने जीवन काल में अब तक लगभग 49 विधान करा दिए हैं, लेकिन इस विधान के प्रति इतना उत्साह मैंने कहीं भी नहीं देखा। जिसमें कि हमारी वो बुजुर्ग महिलाएं जो 70 से 80 वर्ष के बीच की हैं लेकिन धर्म के प्रति आज भी उनमे उत्साह भरपूर है। सोमवार को जैन मिलन धर्म जाग्रति महिला मंडल द्वारा ढ़ोल नागाडो के साथ अष्ट द्रव्य के थाल जिनालय लाये गए।

जिनभक्तों ने नित्य नियम जिनाभिषेक पूजन के पश्चात् विश्व शांति हेतु मन्त्रोंच्चारण करते हुए श्री जी की शांतिधारा की। तथा प्रक्षाल को अपने नेत्र और माथे पर लगाया। तत्पश्चात् विधानाचार्य कैलाश चंद्र जैन ने देव शास्त्र गुरु के अर्घ्य समर्पित कराने के पश्चात् सिद्ध चक्र विधान की विधान मंडल पर लोंग के जोड़ों के साथ स्थापना कराई। महिला पुरुष जिनभक्तों ने विधान मंडल पर 512 अर्घ्य चढ़ाये। विधानाचार्य ने कहा कि इस विधान में सिद्ध भगवान की आराधना की जाती है।

उन्होंने कहा कि यह एक शक्तिशाली अनुष्ठान है जो समस्त बाधाओं को दूर करता है, जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है, और मन, वचन और काया को शुद्ध करता है। इस विधान को करने से गृहस्थ जीवन के पापों का प्रक्षालन भी होता है। सांय श्रीजी सामूहिक संगीतमय महाआरती की गई। इस दौरान रंजना जैन, दीप्ती जैन, संजना जैन, ज्योति जैन, कामिनी जैन, अनीता जैन, रश्मि जैन, रीना जैन, बबली जैन, नीरू जैन, साक्षी जैन, रिचा जैन, लवली जैन, सुनीता जैन, सोनिया जैन, वीना जैन, शशि जैन आदि मौजूद रहे।