फिरोजाबाद/सिरसागंज। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस एवं जन्मदिन अभियान के अंतर्गत डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विचार गोष्ठी का आयोजन गुलाब वाटिका सिरसागंज में किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भाजपा प्रदेश मंत्री व स्थानीय निकाय एमएलसी विजय शिवहरे ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ’एक देश में दो विधान दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेंगे नहीं चलेंगे’ यह कोई नारा नहीं था। यह उस तेजस्वी तपस्वी की हुंकार थी। जिसने 20 वीं शताब्दी के भारत को यह समझाया कि यदि राष्ट्र की एकता को बचाना है, तो सत्ता की चुप्पी नहीं बलिदान की गूंज चाहिए।
6 जुलाई 1901 कोलकाता में जन्मे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी अंग्रेजों के बनाए ढांचे में भारतीय आत्मा को भरना चाहते थे। पश्चिमी शिक्षा लेकर वे भारतीयता की पुर्नस्थापना के लिए मैदान में उतरे। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1947 में पंडित नेहरू के आमंत्रण पर अंतरिम सरकार में उद्योग मंत्री बने, लेकिन जब नेहरू-लियाकत समझौता के तहत पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार के बावजूद भारत सरकार मौन रही, तो उन्होंने मंत्री पद से त्यागपत्र देते हुए कहा कि यदि ’राष्ट्र की आत्मा को चोट पहुंचे तो पदों का त्याग आवश्यक है।
जिलाध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने कहा कि कश्मीर आंदोलन में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम सदैव याद किया जाएगा। डॉ साहब ने 11 मई 1953 को बिना परमिट कश्मीर में प्रवेश किया, गिरफ्तार हुए। 23 जून 1953 को जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में उनका बलिदान हुआ। बलिदान का परिणाम ये हुआ कि उनके बलिदान के बाद देश में जन आक्रोश फूट पड़ा। नेहरू सरकार दबाव में आकर शेख अब्दुल्ला जो भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त था, उसे जेल में डालना पड़ा और यही नहीं परमिट सिस्टम हटाया गया। कश्मीर के विशेष दर्जे की नींव हिल चुकी थी। यह कोई छोटी बात नहीं थी यह डॉक्टर मुखर्जी की शहादत की जीत थी।
विचार गोष्ठी कार्यक्रम में प्रदेश मंत्री किसान मोर्चा सत्यपाल राजपूत, डॉ अमित गुप्ता जिला मीडिया प्रभारी, सिरसागंज चेयरमैन रंजना सिंह, टूंडला चेयरमैन भंवर सिंह, राजीव गुप्ता, राघवेंद्र सिंह, शैलेंद्र सिंह, महिपाल निषाद, शिवशंकर शर्मा, आकाश शर्मा, सुरेंद्र सावन झा, वीरेन्द्र प्रताप सिंह, सचिन जैन, श्वेता पोरवाल, सियाराम धनगर, नगर अध्यक्ष ज्योति गुप्ता, शिवजीत सिंह, वीरू धाकरे, यशपाल यादव, राजवीर सिंह, मंजेश शर्मा, धर्मेंद्र प्रताप सिंह आदि कार्यकर्ता बंधु उपस्थित रहे।