फिरोजाबाद। जैन धर्म के दस दिवसीय पर्युषण पर्व के प्रथम दिन जिनालयों में उत्तम क्षमा धर्म की पूजा आराधना हुईं। सूर्योदय से पूर्व ही जिनालयों में जिन भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। जिनभक्तों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की।
नगर के सभी जैन मंदिरों में प्रातः काल से ही महिला पुरूषों बच्चों ने उत्तम धर्म की पूजा करते हुए प्रातः 5.30 बजे से पीत वस्त्र एवं स्वर्ण मुकुट धारण किये इंद्र स्वरुप में पुरुष श्रद्धांलुओं ने श्रीजी का जिनाभिषेक किया। जिनाभिषेक के समय जिनालय घंटा घड़ियाल की मधुर ध्वनि से गूंज रहे थे। मन्त्रोंच्चारण के मध्य श्रीजी की शांतिधारा की गई।जिनालयों में उपस्थित सभी जिनभक्तों ने सामूहिक रुप से उत्तम क्षमा धर्म की स्थापना की तथा श्रीजी के सम्मुख अध्र्य समर्पित किये।
शीतलनाथ दिगम्बर जैन रत्नत्रय जिनालय में मुनि अमित सागर महाराज, एकत्व सागर चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन जिनालय विद्वान सौरभ जैन शास्त्री, दिगम्बर जैन त्रिमूर्ति जिनालय में एलक विप्रमाण सागर, पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन जिनालय जैन नगर खेड़ा में सांगानेर से पधारे विद्वान हेमंत जैन ने उत्तम धर्म पर बोलते हुए कहा कि उत्तम क्षमा धर्म जैन धर्म के दस धर्मों में प्रथम धर्म है, जिसका अर्थ है क्रोध न करना, दूसरों को क्षमा करना और अपने अंदर से अहंकार को मिटाना। क्षमा आत्म-कल्याण और आंतरिक शांति के लिए आवश्यक है। जो व्यक्ति को बाहरी परिस्थितियों और लोगों द्वारा होने वाली निंदा, गाली और तिरस्कार को सहन करने में मदद करती है।
क्षमा पर्व हमें सभी से क्षमा मांगने और दूसरों को भी क्षमा करने की प्रेरणा देता है, जिससे रिश्तों में प्रेम बना रहता है और नकारात्मक भावनाएं दूर होती हैं। सांयकालीन कार्यक्रम में विद्वानों द्वारा धार्मिक सभा में तत्वार्थ सूत्र पर चर्चा की। जिनालयों में सामूहिक रुप से संगीतमय भक्तामर स्तोत्र दीप अर्चना एवं सामूहिक आरती की गई।
शुक्रवार को उत्तम मार्दव धर्म की पूजा अर्चना की जाएगी। इस अवसर पर सेठ महावीर जैन, अशोक जैन, अनुज जैन तुलसी बिहार, संजय जैन पीआरओं, आदीश जैन, विजय जैन एड, नितिन जैन खेड़ा, मयंक जैन आदि ने पूजा अर्चना की।