फिरोजाबाद। नगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में जड़ भरत एवं प्रहलाद चरित्र का वर्णन किया। भक्तजन प्रहलाद चरित्र की कथा सुनकर मंत्रमुग्ध हो गये।
पालीवाल हाल में मॉ नगरकोट सेवा समिति तत्वाधान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य भोलेश्वर दयाल दीक्षित ने जड़ भरत प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि राजा भरत एक महान राजा थे। जिन्होंने तपस्या के लिए अपना राज्य त्याग दिया और जंगल में रहने लगे। एक दिन वे एक मृग के बच्चे से इतना मोह कर लेते है और उसकी चिंता में ही उनकी मृत्यु हो जाती। अगले जन्म में वे एक मृग के रूप में जन्म लेते है। मृग के शरीर में रहते हुए भी उन्हें अपने पिछले जन्मों की स्मृति बनी रहती है। जब वह अपने शरीर का त्याग करते है, तो वह एक ब्राहमण के घर में जन्म लेते है। पिछले जन्म के मोह के कारण वे सांसारिक मोहजाल से फंसने से डरते है और ज्ञान प्राप्त करने के लिए जड़वत अवस्था में रहते है। सौवीरराज उन्हें डोली ढोने के लिए मजबूर करते है, लेकिन जड़ भरत अपने ज्ञान से उन्हें आत्मतत्व का बोध कराते है।
भक्त प्रहलाद के प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने का प्रयास किया, तो भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर उसका वध किया। कथा व्यास ने कहा कि सत्संग से शांति मिलती है, सत्संग ही जीवन के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता हैं। गुरू को सब मानते है, लेकिन गुरू की बात पर कोई अमल नहीं करता है। गुरू ही भगवान से मिलने का मार्ग बताते है। कथा में मुख्य यजमान गिरधारी लाल मित्तल, महापौर कामिनी राठौर, मुकेश जिंदल, दिनेश शर्मा, संजय अग्रवाल, मोहित अग्रवाल, अंकुर गर्ग, दुष्यंत तिवारी, उमेश राठोर, हरिओम वर्मा, प्रमोद राजौरिया, शिवओम अग्रवाल, संजय गोयल, अनिल अग्रवाल, किशन अग्रवाल, आनंद तोमर आदि भक्तगण मौजूद रहे।

