फिरोजाबाद। दशलक्षण पर्व के तीसरे दिन जिनालयो में उत्तम आर्जव धर्म की पूजा अर्चना की गई। घंटे घड़ियाल की मधुर ध्वनि एवं श्रीजी के जयकारों से जैन मंदिर में गूंज होती रही।
नगर के चालीस जैन मंदिर में आर्जव धर्म की पूजा अर्चना हुई। सूर्योदय पूर्व ही सैकड़ों जिनभक्तों ने मंदिर पहुंचकर श्रीजी का जिनाभिषेक एवं शांतिधारा की तथा सामूहिक रुप से संगीतमय मन्त्रोंच्चारण के साथ श्रीजी के सम्मुख आर्जव धर्म की स्थापना करके अघ्र्य समर्पित किये। मुनि अमित सागर महाराज एवं विप्रमाण सागर ने आर्जव धर्म का वर्णन करते हुए कहा कि उत्तम आर्जव धर्म जैन धर्म का एक सिद्धांत है, जिसका अर्थ है मन, वचन और कर्म में सरलता, ईमानदारी और निष्कपटता।
यह कपटपूर्ण विचारों और कार्यों को त्यागने और सत्यनिष्ठा के साथ जीवन जीने का मार्ग सिखाता है, जिससे आत्मबल और सच्ची शांति मिलती है। रात्रि में पार्श्वनाथ दिगम्बर जिनालय जैन नगर खेड़ा में कलाकारों द्वारा अंनतमती माता जी का अद्भुत नाट्य मंचन किया गया। श्री बाहुबली दिगम्बर जैन जिनालय में बच्चों ने जैन प्रश्न मंच में भाग लेकर अनेकों पुरुस्कार जीते। संजय जैन पीआरओ, आदीश जैन ने बताया कि चैथे दिन उत्तम शौच धर्म की स्थापना होगी एवं पुष्प दंत भगवान का मोक्ष कल्याणक महोत्सव भी मनाया जायेगा।