11 जून 2025 की शाम 5:52 बजे (IST) फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX का फ़ाल्कन-9 रॉकेट नीलगगन को चीरता हुआ उड़ा और इतिहास रच गया। इस उड़ान के जरिए भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बने। Axiom Space के चौथे निजी अभियान Ax-4 को भारत ने मिशन आकाश गंगा नाम दिया है। सरकार ने लगभग ₹550 करोड़ की राशि से शुभांशु और उनके बैकअप अंतरिक्षयात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर का प्रशिक्षण भी प्रायोजित किया।
2019 में ISRO ने शुभांशु को गगनयान मिशन के लिए चुना भारत का पहला मानव अंतरिक्ष अभियान। ट्रेनिंग के लिए उन्हें रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर भेजा गया, जहां उन्होंने जीरो ग्रैविटी सर्वाइवल, स्पेसवॉक और इमरजेंसी प्रोटोकॉल सीखे । 2023 में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग का ऐलान हुआ और शुभांशु को Ax-4 मिशन के लिए चुना गया । उनके साथी अंतरिक्षयात्री टिबोर कापू (हंगरी) कहते हैं: शुभांशु का ज्ञान ऐसा लगता है जैसे वे 130 साल के हों
यह मिशन भारत के 2035 तक स्वदेशी स्पेस स्टेशन और 2047 तक चंद्रमा पर मानव मिशन के लक्ष्यों की दिशा में एक कदम है । शुभांशु का अनुभव गगनयान मिशन (2027 में प्रस्तावित) के लिए महत्वपूर्ण होगा, जिसमें वे शीर्ष उम्मीदवारों में हैं । साथ ही, यह अभियान 31 देशों के साथ वैज्ञानिक सहयोग का मॉडल है, जिसमें नासा के साथ 12 संयुक्त प्रयोग शामिल हैं
उनकी माँ आशा शुक्ला गर्व से बताती हैं वह बचपन से ही अनुशासित था। स्कूल में क्रिकेट खेलते समय सिर पर चोट लगी तो बोला खेल में ऐसा होता ही है । पत्नी डॉ. काम्या (एक दंत चिकित्सक) और 6 साल के बेटे कियाश के साथ वे बेंगलुरु में रहते हैं। कोविड काल में शुभांशु ने संक्रमित माता-पिता की देखभाल के लिए ढाई महीने सोफे पर गुजारे । उनकी बहन शुचि कहती हैं वह हर काम में 100% देता है। यही उसकी सफलता का राज है।
जब शुभांशु 25 जून को ISS से लौटेंगे तो वे 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं को साथ लाएँगे 69। उनकी यात्रा न केवल भारत की तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन है बल्कि युवाओं के लिए एक संदेश भी है सपने देखें जोखिम उठाएँ और अपनी मेहनत पर विश्वास करें। जैसा कि शुभांशु कहते हैं बचपन में सिर्फ आसमान छूने का सपना था। अंतरिक्ष तक पहुँचना सौभाग्य है आने वाले वर्षों में जब गगनयान अंतरिक्ष में उड़ेगा तो इसकी नींव Ax-4 मिशन की सफलता में ही दिखेगी।