फिरोजाबाद। नगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा एवं विराट संत सम्मेलन में सोहम पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानंद महाराज ने कहा कि कर्म ही मानव जीवन का मूल आधार है। निष्काम कर्म का महत्व, कर्म से अंतःकरण की शुद्धि तथा कर्म के माध्यम से परमात्मा की प्राप्ति कैसे संभव है।
अखिल भारतीय सोहम् महामंडल द्वारा रामलीला मैदान मे ंचल रहे विराट संत सम्मेलन में स्वामी सत्यानंद महाराज ने कहा कि जब कर्म निष्काम भाव से किया जाता है, तो वही साधना बन जाता है और वही व्यक्ति को ईश्वर के निकट ले जाता है। शुकदेवानंद महाराज ने सद्कर्मों के द्वारा जीवन को सफल और सार्थक बनाने पर अपने विचार व्यक्त किये। स्वामी प्रबोधानंद गिरी ने राष्ट्र के समर्पित होकर कर्म करने की प्रेरणा दी। स्वामी रामशरण दास महाराज ने कर्म के माध्यम से भक्ति के मार्ग को विस्तार से समझाया।
स्वामी प्रीतमदास महाराज, स्वामी निगमानन्द, स्वामी नारायणानंद, स्वामी शिवानन्द, स्वामी सच्चिदानन्द, स्वामी सदानन्द एवं स्वामी सुबोध स्वरूप ने भी कर्म की प्रधानता बताते हुए अपने-अपने प्रेरक वक्तव्य श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किए। इससे पूर्व श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन वृंदावन से आए पं. रामगोपाल शास्त्री ने कथा का वर्णन करते हुए कहा कि राजा वही श्रेष्ठ होता है, जो सदैव प्रजा के हित में सोचता है और जनकल्याण को अपना कर्तव्य मानता है।

इस अवसर पर यज्ञपति संजय शर्मा, पूनम शर्मा चंद्रप्रकाश शर्मा, अभिषेक मित्तल चंचल, मंयक भटनागर, सतीश चंद्र पचौरी, संजय अग्रवाल, गोपाल बिहारी अग्रवाल, छोटेलाल अग्रवाल, द्विजेंद्र मोहन शर्मा, सम्मन सिंह, सुरेश चंद्र गुप्ता, शिवनारायण यादव, हरदयाल, अशोक यादव, जगदीश यादव, प्रवीन अग्रवाल, अनुग्रह गोपाल, राकेश तिवारी, हरमन शर्मा, प्रदीप टंडन आदि मौजूद रहे।

